जिंदगी एक तरफ है मेरी दुनियाकी गर्दीशो में
और एक तरफ है तेरी रेहमतोंकी रोशनी
छोड़ न दे कहीं धड़कन को सीने की तड़प
थाम लेते हैं कलेजे को हम तेरी खुदाई में
संग रहता है मेरे पास तेरी परछाई सा कोई
ढूँढता हूँ तुझे मैं अपनी ही परछाई में
आईना डालता है मुझपे जब अपनी नजर तो तेराही नुर दिखे आँखों की गहराई मे
जय अलख निरंजन जय निराकार II
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